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अमेरिका सरकार का शटडाउन 2025: कारण, असर और भारतीय लोकतंत्र से तुलना

अमेरिका सरकार शटडाउन 2025: कारण, प्रभाव और भारतीय परिप्रेक्ष्य



अमेरिका सरकार का शटडाउन क्या होता है

अमेरिका को दुनिया की सबसे पुरानी आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था माना जाता है, लेकिन यहां बार-बार सरकार बंद होने की स्थिति सामने आती है जिसे शटडाउन कहा जाता है। इसका अर्थ यह है कि अमेरिकी फेडरल सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन देने और विभागों को चलाने के लिए फंडिंग प्राप्त नहीं कर पाती। दरअसल, वहां सरकार का बजट तभी खर्च हो सकता है जब कांग्रेस उसकी मंजूरी दे। यदि समय पर एप्रोप्रिएशन बिल यानी फंडिंग पास नहीं होती तो सरकार बंद हो जाती है। इस स्थिति में केवल आवश्यक सेवाएं ही चलती रहती हैं जबकि गैर-जरूरी सेवाएं रोक दी जाती हैं।

अमेरिकी संविधान और शटडाउन का कानूनी आधार

अमेरिकी संविधान में सत्ता का स्पष्ट विभाजन है। वहां कांग्रेस यानी संसद का अधिकार है कि सरकार को पैसा खर्च करने की अनुमति दे। राष्ट्रपति भले ही कार्यपालिका का प्रमुख हो लेकिन वह बिना कांग्रेस की स्वीकृति के एक डॉलर भी खर्च नहीं कर सकता। यह सिद्धांत “सेपरेशन ऑफ पावर” कहलाता है। इसके विपरीत भारत में कार्यपालिका और विधायिका के बीच ओवरलैप है और मनी बिल की व्यवस्था के कारण सरकार को रोकना लगभग असंभव है।

अमेरिकी संसद की संरचना और भूमिका

अमेरिकी संसद दो सदनों से मिलकर बनी है – सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स। बजट या एप्रोप्रिएशन बिल पास करने के लिए दोनों सदनों की सहमति आवश्यक होती है। खासकर सीनेट में किसी बिल को पास करने के लिए सिर्फ साधारण बहुमत पर्याप्त नहीं होता बल्कि फिलिबस्टर की स्थिति में 60 वोटों की आवश्यकता पड़ती है। यही कारण है कि अक्सर दोनों दलों – रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स – के बीच सहमति न बनने से शटडाउन की स्थिति पैदा होती है।

फिलिबस्टर का महत्व और गतिरोध की स्थिति

अमेरिकी राजनीति में फिलिबस्टर एक अहम प्रक्रिया है जिसके जरिए विपक्ष किसी बिल पर अनंत काल तक चर्चा जारी रख सकता है। इससे मतदान की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। यदि विपक्ष फिलिबस्टर करता है तो सत्तारूढ़ दल को 60 वोट जुटाने होते हैं। कई बार साधारण बहुमत होने के बावजूद बिल पास नहीं हो पाता। यही वजह है कि रिपब्लिकन बहुमत होने पर भी डेमोक्रेट्स की सहमति के बिना बजट अटक गया।

एंटी डेफिशिएंसी एक्ट और कानूनी पाबंदियां

अमेरिका में 1834 से लागू एंटी डेफिशिएंसी एक्ट यह कहता है कि यदि नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत तक कांग्रेस फंडिंग मंजूर नहीं करती तो सरकार गैर-जरूरी सेवाओं पर पैसा खर्च नहीं कर सकती। सिर्फ आवश्यक सेवाएं जैसे सुरक्षा, सेना, स्वास्थ्य आपातकालीन सेवाएं और कानून-व्यवस्था चलती रहेंगी। लेकिन इन सेवाओं के कर्मचारियों को भी शटडाउन खत्म होने तक वेतन नहीं मिलता।

शटडाउन से प्रभावित होने वाली सेवाएं

शटडाउन के दौरान लाखों सरकारी कर्मचारी वेतन के बिना घर बैठने को मजबूर होते हैं। नासा जैसे संस्थानों ने अपने 80% से अधिक कर्मचारियों को घर भेज दिया। अमेरिकी दूतावासों के सोशल मीडिया अपडेट भी रुक गए। राष्ट्रीय उद्यान, म्यूजियम और शिक्षा संबंधी शोध संस्थान बंद हो गए। हालांकि वीजा और पासपोर्ट जैसी सेवाएं जिनसे सरकार को सीधे आय होती है, वे जारी रहती हैं।

अर्थव्यवस्था पर शटडाउन का असर

शटडाउन का सीधा असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। रिसर्च प्रोजेक्ट, दवा की मंजूरी और निवेश संबंधी फैसले रुक जाते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक एक सप्ताह में ही अरबों डॉलर का नुकसान होता है। लगभग 7.5 से 9 लाख कर्मचारी प्रभावित होते हैं। कई बार जीडीपी की वृद्धि दर पर 0.1 से 0.2 प्रतिशत तक नकारात्मक असर दर्ज किया गया है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार और वैश्विक प्रभाव

चूंकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी है, इसलिए वहां का शटडाउन वैश्विक बाजार को भी प्रभावित करता है। निवेशक सुरक्षित विकल्प के रूप में सोने की ओर भागते हैं जिससे गोल्ड प्राइस बढ़ जाता है। यदि यह स्थिति लंबी चलती है तो विदेशी निवेश और वैश्विक व्यापार पर भी असर पड़ सकता है।

भारत में ऐसी स्थिति क्यों नहीं होती

भारत में संसद के पास भी बजट पारित करने की शक्ति है लेकिन यहां मनी बिल की व्यवस्था है। यदि लोकसभा में सरकार के पास बहुमत है तो राज्यसभा केवल 14 दिनों तक ही इसे रोक सकती है। इसके बाद बजट स्वतः पारित माना जाता है। यही कारण है कि भारत में सरकार बंद होने जैसी स्थिति नहीं आती।

राजनीतिक लाभ-हानि और भविष्य की संभावनाएं

शटडाउन अमेरिकी राजनीति का अहम हथियार बन गया है। विपक्ष इसका उपयोग सत्तारूढ़ दल पर दबाव बनाने के लिए करता है। हालांकि इससे दोनों दलों को नुकसान होता है क्योंकि आम जनता और कर्मचारी दोनों नाराज होते हैं। भविष्य में भी जब तक दोनों दलों में समझौते की संस्कृति नहीं बनेगी, तब तक अमेरिकी लोकतंत्र बार-बार शटडाउन जैसी अस्थिरता झेलता रहेगा।

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